ये उठाएं कदम
मरीज को दमे की बीमारी से बचने के लिये अपना ध्यान खुद रखने की ज़रूरत सबसे ज्यादा होती है। धूल मिट्टी से दूरी बनाए रखें। अधिकांश समय घर पर ही बिताए। पालतू जानवर से भी जरा दूरी कायम कर ले। सबसे खास बात कि साफ-सफाई का काम बिल्कुल नहीं करें। इससे उड़ने वाली धूल आपकी परेशानी और भी बढ़ा सकती है। धूम्रपान न करें न ही किसी और को अपने आसपास करने दे। डाक्टर के बताए अनुसार हल्का व्यायाम करें। सबसे खास बात कि आप अपना इन्हेलर हमेशा अपने पास ही रखें।
क्या नहीं खाना चाहिए
दूध और दूध से बने पदार्थ अस्थमा की बीमारी में बिल्कुल इस्तेमाल न करे। क्योंकि इन पदार्थों में वसा होती है। शोधकर्ता बताते हैं कि अगर अस्थमा रोगी दूध से बने पदार्थों से परहेज करे तो उनकी आधी बीमारी तो वैसे ही ठीक हो सकती है। साथ ही केला, कटहल, पकाई हुई चुकंदर का सेवन भी न करें। हालांकि आप कच्ची चुकंदर खा सकते हैं। मौसमी फलियों के सेवन से भी बचे।
क्या खाना चाहिए
शहद और काली मिर्च गर्म पानी के साथ लेने से अस्थमा में काफी फायदा मिलता है। साथ ही नीम के पत्ते को शहद में लपेटकर रोजाना सुबह सेवन करना चाहिए। शहद और भीगी हुई मूंगफली सांस की नली में जमने वाले कफ को हटा देती है। इसके अलावा तुलसी के पत्ते शहद और काली मिर्च में भिगोकर चबाए।
चार आसन असरकारक
कुछ विशेष योगासन करने से भी दमा में फायदा मिलता है। हालांकि यह चिकित्सक की अनुमति से ही करे। अनुलोम-विलोम से काफी आराम मिल सकता है। शुरू में इसे तीन मिनट करे औऱ बाद में 10 मिनट तक करना शुरू करें। उत्तानासन से भी दमे की बीमारी में राहत मिलती है। इशवासन सबसे आसान आसन है जो अस्थमा के साथ-साथ तनाव भी दूर करता है। अस्थमा पीड़ित मरीजों के लिए सबसे ज्यादा ज़रूरी चीज है कि वे जागरूक रहें।
सूर्य नमस्कार और आसन
इनसे मरीज के शरीर में संतुलन आता है। जिन लोगों को साइनिसाइटिस यानी नजला और दमा का रोग है, उनमें नासिका छिद्र बंद होने की समस्या को यह दूर करता है। इनसे शरीर के लिए आवश्यक व्यायाम हो जाता है। शरीर के लिए आवश्यक ऊष्मा भी इनसे पैदा होती है। सूर्य नमस्कार से शरीर के भीतर इतनी ऊर्जा पैदा होती है कि इसका निरंतर अभ्यास करने वालों को बाहर की सर्दी प्रभावित नहीं कर पाती।
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